[18:18, 1/25/2025] Dr.ADI-M: इस रोग को नष्टार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। एक स्वस्थ महिला को प्रत्येक माह मष्टार्तव में 28 दिन के बाद आता है। प्रायः यह मासिकधर्म प्रत्येक स्त्री को 12- 13 वर्ष में प्रारम्भ हो जाता है और लगभग 40-45 वर्ष की आयु तक प्रत्येक माह में आता है। इसमें स्त्री की योनि से रक्तयुक्त स्त्राव लगभग 4-5 दिन तक होता है। कोई भी लड़की जब युवावस्था में प्रवेश करती है, तो वह अवस्था ‘प्यूबर्टी’ कहलाती है। मासिकधर्म का रक्तस्त्राव सामान्यता, जो युवा स्त्रियों का प्यूबर्टी से 45 वर्ष तक प्रत्येक मास आता है, वह मेनसेस (Menses) अथवा (Menstrua- tion) (M.C.) कहलाता है। मासिक स्राव (मासिकधर्म या माहवारी) का न आना ही अनार्तव (एमेनोरिआ) कहलाता है।
रोग के कारण
- रक्ताल्पता (अनीमिया) – स्त्री के शरीर में रक्त की कमी।
- गलत विधियों से यौन समागम/मैथुन करना (जिससे गर्भाशय का मुख
टेढ़ा अथवा बन्द हो जाये।)
- भय, शोक, क्रोध आदि मानसिक आवेश।
- मासिकधर्म के समय में सर्दी लग जाना अथवा भीग जाना।
- शीतल प्रकृति के भोजन तथा पेय पदार्थों का अधिकता से प्रयोग।
रोग के लक्षण
- मितली/जी-मिचलाना, वमन, सिर में चक्कर, स्तनों में दर्द, कमर, पेट व पेड़ में दर्द, निरन्तर शरीर में दर्द, कष्ट व आलस्य, हाथ की हथेलियों तथा पैरों के तलुवों में जलन/आग निकलना, कानों में सांय-सांय की आवाजें आना, * शरीर में गरमी की अनुभूति।
रजोरोध/अनार्तव के प्रकार
- फिजियोलॉजिकल एमेनोरिया – यौवन के पूर्व मासिक स्त्राव का अभाव
तथ गर्भावस्था, दुग्धावस्था (शिशु को स्तनपान कराने का समय) तथा रजोनिवृत्ति के पश्चात् मासिकधर्म का रुक जाना। किसी रोग/किसी आंगिक रोग से सम्बन्ध नहीं होता है; क्योंकि यह समस्त कारण प्राकृतिक (नैचुरल) हैं, जो किसी भी रोग का परिचायक नहीं है।
- न्यूट्रीशनल (डाइटरी) एमेनोरिया-प्रतिबन्धित आहार अथवा उपवास
[18:18, 1/25/2025] Dr.ADI-M: करने के कारण शारीरिक भार घट जाने के साथ मासिकधर्म काचिकित्सा । 7 - पैथालॉजिकल एमेनोरिया-किसी आंगिक रोग के कारण होने वाला ऋतुरोध/रजोरोध। विकृतजन्य अनार्तव।
- इमोशनल एमेनोरिया-भय, स्तब्धता अथवा हिस्टेरिया रोग में मासिकधर्म का रुक जाना।
- प्राइमरी एमेनोरिया – यौवनारम्भ के बाद भी, यानी 18 वर्ष की आयु के बाद भी मासिकधर्म का न होना। प्राथमिक अनार्तव-इसमें रोगिणी को काय के (एक बार भी नहीं) मासिकधर्म नहीं होता है।
- सैकेण्ड्री (द्वितीयक) एमेनोरिया- मासिकधर्म का एक बार यौवनारम्भ पर आरम्भ होकर, बाद में रुक जाना। सैकेण्ड्री (द्वितीयक) अनार्तव कहलाता है।
- प्राथमिक (प्राइमरी) एमेनोरिया के कारण
मानसिक आघात, भूख न लगना, पागलपन, मानसिक परेशानियों के कारण, अवसाद (डिप्रेशन), डिम्ब ग्रन्थियों का अधूरा विकास, गर्भाशय का छोटा होना, अर्थात् इंफैण्टाइल यूटरस अथवा उसकी अल्पवृद्धि, यौवनावस्था का विलम्ब से भारम्भ होना, प्रजननांगों का पूर्णरूपेण विकास न होना, टरनर सिण्ड्रोम, हाइपोपिट्यूटरी डवारफिज्म ।
- द्वितीयक (सैकेण्ड्री) एमेनोरिया के कारण
प्रजननांगों में रुकावट- रासायनिक बर्न, ऑपरेशन, हिस्ट्रेक्टमी, थायराइड रोग, मधुमेह, कुपोषण (मालन्यूट्रीशन), रक्ताल्पता (अनीमिया), मोटापा, क्षयरोग, पिट्यूटरी ग्लैण्ड में विकार।
रोग की पहचान
- इतिहास (हिस्ट्री/History), रोगिणी की आयु, सर्जीकल इण्टरफेरेन्स,
- सैकेण्ड्री एमेनोरिया से पहले मासिकधर्म का इतिहास, फैमिली हिस्ट्री,
- ऑब्सट्रेटिक हिस्ट्री, * सैकेण्ड्री सेक्स करेक्टर की वृद्धि, प्रजननांगों की
जांच-यूटरस का आकार, योनि व ओवरी की एब्नॉर्मलिटी आदि के सम्बन्ध में सावधानीपूर्वक निरीक्षण कर तथा मूल/वास्तविक ‘कारण’ को खोजना चाहिए, ताकि तदनुसार समुचित चिकित्सा की जा सके।
रोग का परिणाम
ति
समुचित चिकित्सा के अभाव में रोगिणी को बेहोशी, सन्त्रास, वायु, उदासी, हिस्टीरिया, पक्षाघात और नेत्र ज्योति क्षीणता (आंखों से कम दिखाई देना) आदि विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं।
रोग के निदानात्मक परीक्षण
- छाती/वक्ष का एक्स रे-इससे क्षयरोग (ट्यूबर कुलोसिस) के सम्बन्ध में
[18:19, 1/25/2025] Dr.ADI-M: पता लग सकता है। - एक्स-रे पिट्यूटरी फोसा-पिट्यूटरी के लिए।
- ग्लूकोज टोलेरेन्स परीक्षण- मधुमेह (डायबिटीज) के लिए।
- प्रोटीन बाउण्ड आयोडीन परीक्षण थायराइड के लिए।
- डायग्नोस्टिक क्यूरेटाज- एण्डोमीट्रियम के लिए।
- हिस्ट्रोसेल पिंगोग्राफी – प्रजननांगों की आन्तरिक बनावट अथवा किसी आन्तरिक रुकावट को देखने के लिए।
- हॉर्मोनस की रक्त (ब्लड) में मात्रा।
- लेप्रोस्कोपी।
- अल्ट्रासाउण्ड ।
- यूरिन एनालिसिस (ग्लाइकोयूरिया)।
- वाटर इक्सक्रीसन ।
- वेन्जाइनल स्मीयर।
- हीमोग्लोबिन (Hb) % तथा D.L.C./T.L.C. व E.S.R. (रक्त जांच द्वारा)।
चिकित्सा
- रोग के कारण के अनुसार चिकित्सा करें।
- ओवरी के ट्यूमर शल्य चिकित्सा (ऑपरेशन) द्वारा निकाले जाते हैं।
- मोटापे से पीड़ित रोगिणी के वजन को घटायें। इस हेतु उसके भोजन में कटौती, व्यायाम और नमक, पानी नियन्त्रित मात्रा में लेने हेतु परामर्…
[18:20, 1/25/2025] Dr.ADI-M: एवं इसके साथ में ‘प्रोजेस्ट्रोन’ (Progesterone) (पेटेण्ट व्यवसायिक नाम मैन्स्ट्रोजेन (Menstrogen), निर्माता- आर्मेनन। 16वें दिन से 25वें दिन तक 2-2 टेबलेट प्रतिदिन रोगिणी को सेवन करायें। 25वें दिन उपरोक्त दोनों ओषधियों का उपयोग बन्द कर देना चाहिए। इसके सेवन से प्रायः 3 से 5 दिन के अन्दर रजोधर्म (रक्तस्राव/ब्लीडिंग) आरम्भ हो जाता है।
अगली बार मासिक स्राव का प्रथम दिन समझकर 5वें दिन से (चाहे रक्त रुके अथवा न रुके) उपरोक्त चिकित्सा प्रारम्भ कर देनी चाहिए। इस प्रकार के 4- 5 कोर्सों के बाद रोगिणी का मासिकधर्म (M.C.) नियमित रूप से होने लगता है।
- टेबलेट ओवराल (Ovral), निर्माता- वाइथ। मासिकधर्म आरम्भ होने के 5वें दिन से लेकर निरन्तर 21 दिनों तक प्रतिदिन 1 टेबलेट भोजनोपरान्त रात्रि को सोते समय ।
- टेबलेट फरलुटल (Farlutal), निर्माता- फर्मेसिया। 100 मि०ग्रा० की एक टे…
[18:21, 1/25/2025] Dr.ADI-M: वाला 1 मि०लि० का इंजेक्शन मांसान्तर्गत प्रत्येक तीसरे दिन 2-3 इंजेक्शन रक्तस्राव होने तक लगायें। - प्रोल्यूटान डिपोट इंजेक्शन (Proluton Depot), निर्माता- जर्मन रेमेडीज। प्राइमरी व सैकेण्ड्री दोनों प्रकार के 3 अनार्तव में 1-2 मि०लि० मांसान्तर्गत सप्ताह में 2-3 बार इंजेक्शन लगायें।