कष्टार्तव (Dysmenorrhoea)

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इस रोग को पीड़ाजनक मासिकधर्म, मासिकधर्म कष्ट से आना व कृच्छ्रार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। यह रोग प्रायः उच्च रहन-सहन में पली हुई और बढ़ी हुई नाजुक मिजाज की नवयुवतियों में पाया जाता है, जो अधिकतर समय बैठे/लेटे रहकर (बिना शारीरिक श्रम के ही) व्यतीत करती हैं। इस रोग में मासिकधर्म आरम्भ होने से पहले अथवा उसी समय पेट के निचले भाग में नलों की तरफ ऐंठन वाला दर्द होता है। यह रोग नीचे लिखे दो प्रकार का होता है-

  1. कन्जेस्टिव डिस्मेनोरिया (Congestive Dysmenorrhoea)
  2. स्पास्मोंडिक डिस्मेनोरिया (Spasmodic Dysmenorrhoea)
  3. कन्जेस्टिव डिस्मेनोरिया – यह मासिकधर्म आरम्भ होने के 3 से 5 दिन पहले होता है और मासिकधर्म आरम्भ होने के साथ दूर हो जाता है। इसमें रोगिणी की कमर में व पेट के निचले भाग (पेडू) में ऐंठन के साथ दर्द होता है।

रोग के कारण

इस प्रकार की डिस्मेनोरिया के प्रमुखतया नीचे लिखे कारण होते हैं-

  • बच्चेदानी के उल्टा घूमने से, प्रजननांगों में शोथ (सूजन), * मायोमेटा, * एडिनोमायोमेटा, चॉकलेट सिस्ट ऑफ ओवरी।
  1. स्पास्मोडिक डिस्मेनोरिया – यह कष्टार्तव का अधिकता से पाया जाने

वाला प्रकार है। दर्द मासिकधर्म के प्रथम दिन से होता है, जो लगभग 10-12 घण्टे तक रहता है। ये दर्द तीव्र ऐंठन के साथ पेट के निचले भाग से आरम्भ होता है (जो जंघाओं के अन्दर की ओर के भाग की ओर जाता है।) यह दर्द रुक-रुककर होता है। कभी-कभी इस दर्द के कारण रोगिणी को वमन/उल्टी, चक्कर और बेहोशी भी आ जाया करती है।

रोग के कारण

स्पास्मोडिक डिस्मेनोरिया के प्रमुख कारण नीचे लिखे हैं-

  • जन्मजात बच्चेदानी में खराबी।
  • प्रजननांगों की बनावट (रचना) में कमी (Uterine Hypoplasia, Retroverted Uterus)।

रोगिणी की जब बच्चेदानी सिकुड़ती है, तो ‘सरविक्स’ खुल जाती है अथवा इसका विपरीत (उल्टा) होता है, जिसको Polarity कहते हैं। इस Polarity में परिवर्तन के कारण रक्तयुक्त स्राव का सर्विक्स से निकलना कठिन हो जाता है।

  • एन. ऑब्युलेटरी मासिक चक्र दर्द रहित होता है। (जिससे प्रतीत होता है कि ‘प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन’ भी इसमें महत्त्वपूर्ण रोल (भूमिका) रखता है।
  • थ्रोम्बोलाइसिन की कमी के कारण मेन्सटुअल क्लॉट (थक्का) का पतलापन नहीं हो पाता है और क्लॉट (Clot) निकलने में दर्द (Pain) होता है।

अन्य कारण – भय, चिन्ता, शारीरिक दुर्बलता व अन्तःस्रावी कारण, किन्तु कष्टार्तव (डिस्मेनोरिया) के वास्तविक कारण का अभी तक पता नहीं चल सका है। चिकित्सा वैज्ञानिक निरन्तर इसके कारणों को खोज में प्रयासरत है।

रोग के मुख्य लक्षण

  • पीड़ायुक्त मासिकधर्म ।
  • बेचैनी और चिन्ता।
  • यौन भय (फियर ऑफ सैक्स) तथा असन्तुष्ट कामवासना।
  • दर्द की प्रतीति गर्भाशय में।
  • दर्द/पीड़ा मासिकधर्म के तुरन्त प्रारम्भ के पूर्व अथवा बाद में आरम्भ में तथा 12 घण्टे तक रहता है। इस पीड़ा (Pain) की प्रकृति तीव्र ऐंठन युक्त (जो पेट के निचले भाग हाइपोगैस्ट्रियम) से आरम्भ होती है। दर्द जंघाओं के अन्दर की ओर के भाग की ओर जाता हुआ अनुभव होता है। यह दर्द घुटनों से नीचे कभी नहीं होता है। कभी-कभी रोगिणी को उत्क्लेश, बेचैनी और कै भी होती है।
  • रोगिणी चिन्तायुक्त और दुर्बल दिखती है।

चिकित्सा

  • रोगिणी को साफ-स्वच्छ खुली वायु में व्यायाम/खेल-कूद करने आदि के सम्बन्ध में उत्साहित करें।
  • यदि रोगिणी को कब्ज रहती हो, तो कोई मृदु विरेचन दें। इसके अतिरिक्त रोगिणी को ताजा हरी शाक-सब्जियां (कम तेल/घी तथा मिर्च-मसाले से निर्मित) तथा फाइबर युक्त भोजन दें।
  • कमर के नीचे गरम सेंक (Hot Fomentation) करें।
  • रोगी के शरीर में खून की कमी की दशा में कोई आयरन टॉनिक अथवा गोली/कैपसूल उचित मात्रा में (हेप्टाग्लोबिन सीरप, हेपफोर्ट सीरप, डेक्सारेंज सीरप, कैपसूल आदि) दें।
  • इस रोग में रोगिणी को पीड़ाहारी/दर्द निवारक ओषधियां देते हैं। इसके सेवन से सूजन भी कम हो जाती है, किन्तु स्मरण रहे कि पैथीडिन अथवा मार्फिन

का इंजेक्शन कभी न दें (चाहे दर्द कितना भी भयंकर क्यों न हो); क्योंकि इससे रोगिणी को आदत पड़ जाती है।

  • टेबलेट ब्रूफेन 400 या 600 मि०ग्रा० (Brufen), निर्माता-अब्बोट । 1-1 गोली दिन में (आवश्यकतानुसार) 2 या 3 बार दें।
  • टेबलेट वोवेरोन 50 मि०ग्रा० (Voveran), निर्माता- नोवारटिस। 1-1 टेबलेट दिन में 3 बार दें।
  • टेबलेट मेफ्टाल 500 मि०ग्रा० (Meftal), निर्माता – ब्लूक्रॉस । 1-1 टेबलेट दिन में 3 बार दें।
  • टेबलेट अर्टाजिन 250 मि०ग्रा० (यह नेप्रोक्सेन Naproxen है।) (Artagen), निर्माता – रैनबैक्सी। 1-1 टेबलेट दिन में 3 बार दें।
  • रात्रि में रोगिणी को सोते समय मानसिक शान्ति के लिए टेबलेट डायजेपाम (Diazepam) पेटेण्ट व्यवसायिक नाम-काम्पोज 5 मि०ग्रा० या वेल्यिम 5 मि०ग्रा०, निर्माता- क्रमशः रैनबैक्सी व परिमल हेल्थकेयर। (ऐसी रोगिणियों को सेवन करने हेतु दें, जो दर्द के कारण सो नहीं पाती हैं।)
  • हॉर्मोनथैरेपी के अन्तर्गत रोगिणी को इस्ट्रोजन प्रोजेस्टरोन ओरल कण्ट्रासेप्टिव, यथा- ओवरल टेबलेट (Ovral), निर्माता- वाइथ अथवा प्राइमोव्लर Primovlar या लिण्डियोल Lyndiol अथवा इसी प्रकार के कोई अन्य योग की 1 टेबलेट प्रतिदिन मासिकधर्म के 5वें दिन से सामान्य रूप से (दर्द/पीड़ा रहित होने में) लगभग 6 कोर्स की आवश्यकता होती है।

नोट-मेडिकल ट्रीटमेण्ट (चिकित्सा) के असफल रहने पर यन्त्रों की सहायता से रोगिणी की बच्चेदानी का मुंह खोला जाता है। इसमें सर्विक्स का डाइलेटेशन और कूरटेज ऑपरेशन (Curettage Operation) की आवश्यकता होती है।

चेतावनी: दवाओं का सेवन केवल डॉक्टर की देखरेख में करें

दवाओं का उपयोग करते समय विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है। बिना डॉक्टर की सलाह और देखरेख के दवाओं का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। दवाओं के अनुचित उपयोग से गंभीर दुष्प्रभाव, एलर्जी, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

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  1. डॉक्टर की सलाह:
    • कोई भी दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
    • डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार सही दवा और उसकी खुराक बताते हैं।
  2. स्व-चिकित्सा से बचें:
    • बिना विशेषज्ञ की सलाह के दवा का उपयोग न करें।
    • दूसरों द्वारा सुझाई गई दवा अपने लिए उपयोग न करें।
  3. साइड इफेक्ट्स का जोखिम:
    • हर दवा के कुछ संभावित दुष्प्रभाव होते हैं।
    • बिना परामर्श के दवा लेने से ये दुष्प्रभाव खतरनाक हो सकते हैं।
  4. गंभीर स्थितियां:
    • यदि दवा के सेवन से कोई परेशानी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
    • गलत दवा का सेवन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  5. संवेदनशील समूह:
    • बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
    • इन समूहों में दवा के दुष्प्रभाव ज्यादा हो सकते हैं।

हमारी जिम्मेदारी:

हमारी यह स्पष्ट नीति है कि दवाओं का उपयोग केवल डॉक्टर की देखरेख और सलाह के अनुसार ही करें। किसी भी प्रकार की दवा का उपयोग स्वेच्छा से करने पर यदि कोई समस्या या हानि होती है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।

सावधानी और सही जानकारी ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। दवाओं का सही उपयोग करें और स्वस्थ रहें।

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