IVF (In Vitro Fertilization) क्या है और कैसे होता है?

IVF (In Vitro Fertilization) क्या है और कैसे होता है?वैदिक हिंदी में विस्तृत वर्णन IVF (In Vitro Fertilization), जिसका अर्थ है “प्रजनन कोशिका का प्रयोगशाला में मिलन,” एक विशेष चिकित्सा प्रक्रिया है जो उन दंपतियों के लिए सहायक होती है जो प्राकृतिक रूप से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे होते। इस प्रक्रिया में, […]

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वागिनल हिस्टेरेक्टमी

वागिनल हिस्टेरेक्टमी (Vaginal Hysterectomy) एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भाशय (यूटेरस) को योनि के माध्यम से निकाला जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब महिला को गर्भाशय से संबंधित किसी गंभीर समस्या का सामना होता है, जैसे कि: इसमें, डॉक्टर महिला के योनि के माध्यम से ऑपरेशन करते

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पुरुष यौन समस्याएं: कारण, समाधान और सावधानियां

पुरुष यौन समस्याओं के लक्षण पुरुषों में यौन समस्याएं उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। अक्सर, इन समस्याओं के लक्षण नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, जो समय के साथ गंभीर रूप ले सकते हैं। यहां पुरुषों में यौन समस्याओं से जुड़े मुख्य लक्षण बताए जा रहे हैं: 1. शीघ्रपतन (Premature

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COPD/CORPULMONALE

COPD (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का संक्षिप्त विवरण:COPD एक दीर्घकालिक श्वसन रोग है, जिसमें फेफड़ों में हवा के प्रवाह में बाधा आती है। इसके मुख्य कारण धूम्रपान, वायु प्रदूषण और हानिकारक धूल या रसायनों का संपर्क हैं। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, खांसी, बलगम और सीने में जकड़न शामिल हैं। इसका इलाज दवाइयों,

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अतिसार/बार-बार आने वाले दस्त (Diarrhoea)

गुदा मार्ग से बहुत-से मल का बार-बार परित्याग होना ‘अतिसार’ कहलाता है। इस रोग में मल पतला होकर बार-बार बड़ी मात्रा में आता है। जब खाया गया भोजन आमाशय पचा नहीं पाता है, तब वह अनपचे भोजन के साथ पतले दस्त आते हैं। इसी को अतिसार कहते हैं। ग्रामीणांचलों में इसको पेट झड़ना कहते हैं।

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अण्डकोष प्रदाह (Epidiymo Orchitis)

इस रोग को वृषण शोथ, अधिवृषण शोथ के नामों से भी जाना जाता है। जब शोथ अधिवृषण (Epididymis) और वृषण (टेस्टीज Testes) में फैल जाता है, तो उसको ‘अण्डकोष प्रदाह’ कहा जाता है। सरलतम शब्दों में कहें, तो इस रोग में अण्ड (टेस्टीकल Testicle) और उसकी आवरण झिल्ली में शोथ उत्पन्न हो जाता है, जिससे

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नपुंसकता (Impotency)

इस रोग को ध्वजभंग एवं नामर्दी के नामों से भी जाना जाता है। सम्भोग/मैथुन कार्य में असमर्थ होना नपुंसकता कहलाती है। सैक्स स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के मतानुसार इसकी परिभाषा निम्न प्रकार है- रचना मदाँ जैसी ठोस नहीं बन पाती है। ये रोगी नपुंसक हो जाते हैं। चिकित्सा स्खलन के बाद भी लिंगोत्थान में कमी नहीं आती

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पोलीमेनोरिया (Polymenorrhoea)

इस रोग को ‘एपिमेनोरिया’ भी कहा जाता है। मासिक चक्र की अवधि घटकर 3 से 2 सप्ताह रह जाती है तथा इसी पर बनी रहती है। कभी-कभी इस रोग से पीड़ित महिलाओं में रक्तस्राव भी अधिक होता है। रोग के प्रमुख कारण रोग का निदान इस रोग का निदान ‘मेनोरेजिया’ के जैसे किया जाता है।

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कष्टार्तव (Dysmenorrhoea)

Dys इस रोग को पीड़ाजनक मासिकधर्म, मासिकधर्म कष्ट से आना व कृच्छ्रार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। यह रोग प्रायः उच्च रहन-सहन में पली हुई और बढ़ी हुई नाजुक मिजाज की नवयुवतियों में पाया जाता है, जो अधिकतर समय बैठे/लेटे रहकर (बिना शारीरिक श्रम के ही) व्यतीत करती हैं। इस रोग में मासिकधर्म

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अनार्तव/रजोरोध (Amenorrhoea)

[18:18, 1/25/2025] Dr.ADI-M: इस रोग को नष्टार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। एक स्वस्थ महिला को प्रत्येक माह मष्टार्तव में 28 दिन के बाद आता है। प्रायः यह मासिकधर्म प्रत्येक स्त्री को 12- 13 वर्ष में प्रारम्भ हो जाता है और लगभग 40-45 वर्ष की आयु तक प्रत्येक माह में आता है। इसमें

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