आधुनिक चिकित्सा

नपुंसकता (Impotency)

इस रोग को ध्वजभंग एवं नामर्दी के नामों से भी जाना जाता है। सम्भोग/मैथुन कार्य में असमर्थ होना नपुंसकता कहलाती है। सैक्स स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के मतानुसार इसकी परिभाषा निम्न प्रकार है- रचना मदाँ जैसी ठोस नहीं बन पाती है। ये रोगी नपुंसक हो जाते हैं। चिकित्सा स्खलन के बाद भी लिंगोत्थान में कमी नहीं आती […]

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पोलीमेनोरिया (Polymenorrhoea)

इस रोग को ‘एपिमेनोरिया’ भी कहा जाता है। मासिक चक्र की अवधि घटकर 3 से 2 सप्ताह रह जाती है तथा इसी पर बनी रहती है। कभी-कभी इस रोग से पीड़ित महिलाओं में रक्तस्राव भी अधिक होता है। रोग के प्रमुख कारण रोग का निदान इस रोग का निदान ‘मेनोरेजिया’ के जैसे किया जाता है।

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कष्टार्तव (Dysmenorrhoea)

Dys इस रोग को पीड़ाजनक मासिकधर्म, मासिकधर्म कष्ट से आना व कृच्छ्रार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। यह रोग प्रायः उच्च रहन-सहन में पली हुई और बढ़ी हुई नाजुक मिजाज की नवयुवतियों में पाया जाता है, जो अधिकतर समय बैठे/लेटे रहकर (बिना शारीरिक श्रम के ही) व्यतीत करती हैं। इस रोग में मासिकधर्म

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अनार्तव/रजोरोध (Amenorrhoea)

[18:18, 1/25/2025] Dr.ADI-M: इस रोग को नष्टार्तव आदि नामों से भी जाना जाता है। एक स्वस्थ महिला को प्रत्येक माह मष्टार्तव में 28 दिन के बाद आता है। प्रायः यह मासिकधर्म प्रत्येक स्त्री को 12- 13 वर्ष में प्रारम्भ हो जाता है और लगभग 40-45 वर्ष की आयु तक प्रत्येक माह में आता है। इसमें

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